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वज्रपात मनुष्य के मूल्यवान जीवन के लिए सबसे अधिक ख़तरनाक है :- प्राचार्य डॉ. फादर एम. के. जोश

सहजाद आलम/महुआडांड़

मंगलवार को संत जेवियर्स महाविद्यालय के सभागार में को महुआडांड़ के अनुमंडल पदाधिकारी बिपिन कुमार दुबे विद्यार्थियों को बिजली कड़कने और वज्रपात से सुरक्षा संबंधित जानकारी प्रदान करने पहुंचे। प्राचार्य महोदय डॉ. फादर एम. के. जोश के द्वारा उन्हें पुष्पगुच्छ देकर औपचारिक स्वागत किया गया।अनुमंडल पदाधिकारी मिस्टर बिपिन दुबे ने कार्यक्रम में विद्यार्थियों को यह बतलाया कि लाइटनिंग और थंडरिंग (बिजली चमकना और वज्रपात होना )ये दोनों ही प्राकृतिक घटनाएं हैं जो आमतौर पर एक साथ होती हैं।बिजली का मतलब है आकाश में होने वाली विद्युत चमक, जबकि “गरजना” (thunder) उस आवाज को कहते हैं जो बिजली के कारण हवा के तेजी से फैलने से उत्पन्न होती है। ये दोनों ही मनुष्य के जीवन के लिए बहुत ही खतरनाक है। उन्होंने कहा कि *समतल क्षेत्रों की अपेक्षाकृत महुआडांड़ जैसे पहाड़ी और घने जंगली क्षेत्रों में बिजली चमकने और वज्रपात होने की संभावना ज़्यादा होती है। और यहां के स्थानीय लोगों को इसकी जानकारी होनी चाहिए कि ऐसी परिस्थिति में कौन कौन से क़दम उठाने चाहिए जिनसे उनका जीवन सुरक्षित रहे। इसके लिए उन्होंने कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को बच्चों के समक्ष रखा जैसे

1.जब बिजली चमक रही हो और वज्रपात हो रही हो तो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि घर में आप ज़्यादा सुरक्षित हैं, यदि पक्का का मकान है तो उसमें तड़ित चालक की व्यवस्था होनी चाहिए।
2. यदि आप सफ़र में हो तो अपने वाहन में ही बने रहे और वाहन का शीशा बंद रखें।
3. किसी भी बड़े ऊंचे पेड़ के नीचे न खड़े रहे क्योंकि ये आकाशीय विद्युत को और आकर्षित करती है।
4. ऐसी स्थिति में समूह में न रहे, अलग अलग रहें।
5. ऐसी वस्तुएँ जो बिजली के सुचालक हो उनसे दूर रहें।
6. खिड़कियां, दरवाज़े, बरामदे और खुले छत में इस दौरान नहीं जाना चाहिए।
7. बिजली से चलने वाले उपकरण बंद कर दें, टेलीफोन, बिजली के पोल के अलावा टेलीफोन और टीवी टावर से दूर रहें, इस दौरान नेटवर्क कनेक्शन तथा मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल से बचें। किसी इकलौते पेड़ के नीचे नहीं जाएं, यदि जंगल में हैं तो बौने, कम ऊंची पेड़ व घने पेड़ों के नीचे जाएं, गीले खेतों में हल चलाने या रोपनी करने वाले किसान और मजदूर सूखे स्थानों पर जाएं, नंगे पैर फर्श या जमीन पर कभी खड़े ना रहें, बादल गर्जन के दौरान मोबाइल व छतरी का प्रयोग न करें, घरों के दरवाजे व खिड़कियों पर पर्दे का इस्तेमाल जरूर करें।अनुमंडल पदाधिकारी मिस्टर बिपिन कुमार यादव ने इस जानकारी को अपने गाँव घर में पहुंचाने और अपने लोगों को इसके प्रति जागरूक होने की अपील की जिससे कि लोग अपने कीमती जीवन के प्रति सतर्क रह सकें।साथ ही उन्होंने पूंजीपतियों के द्वारा या गैर आदिवासियों के द्वारा आदिवासियों के ज़मीन हड़पने और उसे अपने नाम पर हस्तांतरण करवाने के संदर्भ में भी उन्हें जागरूक करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि अपना ज़मीन किसी भी क़ीमत पर बेचना नहीं है साथ ही खतियानी, ज़मीन का रशीद तथा ज़मीन सुरक्षा संबंधी अनेकों जानकारी उन्होंने विद्यार्थियों को प्रदान की। उन्होंने कहा कि झारखंड की जल, जंगल, ज़मीन, पहाड़ और पर्वत पर सर्वप्रथम यहाँ के आदिवासियों का हक़ है।

इस कार्यक्रम में मंच संचालिका के रूप में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर रोज़ी तथा शेफाली प्रकाश मौजूद थे।अंत में सभी विद्यार्थियों ने मिलकर एसडीओ सर को मिलकर ऐसी मूल्यवान जानकारी के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

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