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नेतरहाट का सौंदर्य लोगों को अपने ओर करता है आकर्षित, लोग खिंचे चले आते हैं इस डगर

 

नेतरहाट में सनसेट, सनराइज मौंगोलिया पांइन्ट,लोवर घाघरी,अपर घाघरी,नैना वॉटरफॉल, नेतरहाट विद्यालय,शैले हाउस, पार्क, नेतरहाट तालाब,नास्पाती बगान, चीड़ वन समेत कई ऐसे देखने लायक स्थान है। नेतरहाट में पर्यटकों को ठरहने के लिए काफी संख्या में होटल भी मौजूद है।

महुआडांड़ नेतरहाट/मोहम्मद सहजाद आलम

छोटा नागपुर की रानी कहें जानी वाली नेतरहाट का मौसम काफ़ी खुशगवार होता है। यहां सनसेट, सनराइज मौंगोलिया पांइन्ट,लोवर घाघरी,अपर घाघरी,नैना फोल नेतरहाट विद्यालय,शैले हाउस, पार्क, नेतरहाट का तालाब,नास्पाती बगान समेत कई ऐसे देखने लायक स्थान है। नेतरहाट में पर्यटकों को ठरहने के लिए काफी संख्या में होटल भी मौजूद है। इस लिए नेतरहाट में झारखंड बिहार बंगाल उड़ीसा समेत अन्य राज्य व देश विदेश से लोग यहां घुमने आते हैं।खाश कर दिसम्बर और जनवरी पर्यटकों का आवागमन काफी हो जाता है।भारी संख्या में पर्यटक नेतरहाट के ओर रुख़ करते हैं।और यहां के सौंदर्य का आंनद लेते हैं।

छोटा नागपुर की रानी’ के नाम से प्रसिद्ध नेतरहाट झारखंड की राजधानी रांची से 156 किमी लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड में स्थित है। नेतरहाट एक पहाड़ी पर्यटन-स्थल है। यह समुद्र सतह से 3622 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।यह सभी ओर से जंगलों से घिरा हुआ है।जंगल में शाल के पेड़ अधिक है।और खाश नेतरहाट में चीर का पेड़ भी है जिसे देखने के बाद आपका मन और दिल उसके नीचे बैठे रहने को विवश हो जाएगा।
नेतरहाट में गर्मी के मौसम में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है। वैसे तो सालो भर यहां ढंड का मौसम बना रहता है।इसी लिए इसे हिल स्टेशन भी कहा जाता है। प्रकृति ने इसे बहुत ही खूबसूरती से संवारा है। यहाँ पर लोग सूर्योदय व सूर्यास्त देखने आते हैं। यह सूर्योदय नजारा नेतरहाट से 1.5 किमी कोयल ब्यू जाकर देखा जा सकता है।और अभी पर्यटन विभाग के द्वारा वहा पर निर्माण कर कर बहुत ही आकर्षक बना दिया गया है।और सूर्यास्त लगभग 10 किमी के दूरी पर जाकर मंगौलिया पांण्ट पर जाकर आकर्षक ढंग से देखा जा सकता है।मानो ऐसा लगता है कि बगल के जंगल में ही सुर्यासस्त हो रहा हो।इसके अलावा यहाँ घाघरी एवं लोअर घाघरी नमक दो छोटे-छोटे जलप्रपात भी हैं, जो प्रसिद्ध हैं और देखने लायक स्थल हैं।साथ ही नेतरहाट विद्यालय,का भी एक अलग पहचान है। वहीं शैले हाउस जो लकड़ी बना हुआ है जो एतेहासिक इमारतों में शुमार है।

नेतरहाट विद्यालय

प्रसिद्व नेतरहाट विद्यालय की स्‍थापना नवम्‍बर 1954 में हुई थी। राज्‍य सरकार द्वारा स्‍थापित और गुरुकुल की तर्ज पर बने इस स्‍कूल में अभी भी प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर नामांकन होता है। यहां के अनेक छात्र ने हरेक क्षेत्र, देश विदेश में जाकर इस विद्यालय का नाम रौशन कर रहें हैं।अभी विद्यालय को और भी आकर्षक ढंग से बनाया गया है। वहां पर लैब, लाइब्रेरी,खेल मैदान,मिटिंग हाल, समेत छात्रों के लिए सारी सुविधाएं मौजूद है।

अपर घाघरी

नेतरहाट से लगभग 4 किमी दूरी पर अपर घाघरी स्थित है। यहां पर काफी लोग पिकनिक मनाने आते हैं। यहां आकर पिकनिक का लुत्फ उठा सकते हैं। यहां पानी का कल कल करता झरना बहता रहता है जो यहां आने वालों को मंत्र मुग्ध कर देता है।

लोवर घाघरी

लोवर घाघरी यहां से 10 किमी की दूरी पर स्थित है।यह घने जंगलों के बीच से गुजरती इस झरने की सुन्‍दरता देखते ही बनती है। 32 फीट की उंचाई से गिरते हुए इस झरने को देखने काफी संख्‍या पर्यटक यहां आते है।और सबसे खाश बात यहां के आस-पास के जंगल इतने घने है कि सूर्य की किरणें भी इसको पार नही कर पाती है।इस लिए गर्मी के मौसम में यहां काफी संख्या में पर्यटक देखने को मिलते हैं।

नैना वॉटरफॉल

नेतरहाट से 8 किमी दूरी पर स्थित है नैना वॉटरफॉल जिसे लोग नहीं जानते थे और आवागमन भी कम था।पर अब वहां भी लोगों का आवागमन काफी हो रहा है।अब नैना गांव का जहां पर बोर्ड लगा हुआ है वहीं बाई ओर नैना वॉटरफॉल जाने को लेकर बड़ा सा गेट लगाया गया है उसी रास्ते से आगे जाकर आप नैना वॉटरफॉल का दिदार कर सकते हैं। कुछ दिन पूर्व वन विभाग के द्वारा कच्ची सड़क का निर्माण कराया गया था ताकि आवागमन सुगम हो सके लेकिन कुछ दिनों के बाद सड़क काफी खराब हो चुका है।

चीड़ वन

नेतरहाट में चीड़ वन है जो लोगों को अपने ओर आकर्षित करती है।मसलन की विशेषता यह है कि यह पेड़ पुरे दिन से लगे हुए हैं जैसे बच्चे स्कुल में प्रथना के लिए लाइन लगा कर खड़े रहते हैं।यह चीड़ का वन कोय ब्यू के अगल बगल समेत अन्य स्थानों में भी देखने को मिलता है। लेकिन जब लोग कोयल ब्यू जाते हैं तो घंटों चीड़ के वन में घूमना पसंद करते हैं फ़ोटो सूट कराते हैं। वहां घुमने का एक अलग ही मजा है।

सनसेट पॉइंट ( मनगौलिया पॉइंट)

यहां की दुरी लगभग 10 किमी है। यहां सालों भर शाम समय गाड़ीयों की लम्बी कतार लगी रहती है जो लोग नेतरहाट आते हैं सनसेट पॉइंट जाना भूल ही नहीं सकते। यहां पर सुर्यास्त का नजारा काफी सुहाना होता है।मानो ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ कदम के दूरी पर इसी जंगल में ही सुर्यास्त हो रहा हो।इस खुबसूरत नजारा को देखने के लिए वहां पर लकड़ी का घर बनाया गया है वहां उपर उस पॉइंट पर चढ़ कर लोग इसका लुत्फ उठाते हैं।इस स्थान को मनगौलिया पॉइंट के नाम से भी जाना जाता है।इतनी दुरी तय कर जब वहां आप पहुंचते हैं तो वहां पर देहाती अंदाज में चाय पकौड़े समोसे समेत अन्य खाने की सामग्री भी उपलब्ध मिलता है।खान कर वहां पर मिट्टी की कड़ाही की चाय की एक अलग ही मजा है।

सनराइज पॉइंट(कोयल ब्यू)

यह लगभग 2 किमी स्थित है यहां पर लोगों कोसुर्योदय
का नजारा देखने आते हैं।जो बहुत ही मनमोहक दृश्य होता है। यहां पर पर्यटन विभाग के द्वारा इसे और विकसित कर लोगों को लुभाने की कोशिश की जा रही है ताकि और भी लोग यहां पर आकर सूर्योदय का लुत्फ उठा सके। पहले वहां पर किसी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया गया था लेकिन अभी पर्यटन विभाग के द्वारा निर्माण कार्य करा कर पार्क का निर्माण कराया गया है। निर्माण के कुछ दिन बाद पार्क के अन्दर लगे शीशे को तोड़ फोड़ कर दिया गया है।
वहीं पार्क को पर्यटकों के लिए खोला नहीं गया है। जिसके कारण लोगों को वहां पर सुर्योदय का नजारा वह दृश्य नहीं दिख पाता है।जबकि पार्क नहीं बना था तब लोग वहां पर जाकर सुर्योदय का आनन्द लेते थे। वहां के लोग व पर्यटकों कहना है कि बंद पड़े पार्क को खोला जाए ताकि लोगों को सहूलियत मिल सके।

नेतरहाट पार्क

नेतरहाट में अभी कुछ दिन पूर्व पार्क का भी निर्माण कर दिया गया है। यह पार्क नेतरहाट तालाब के बगल में बनकर लोगों को देखने के लिए तैयार हो चुके हैं यहां पर आप परिवार और बच्चे के साथ जाकर इसका लोक उठा सकते हैं। लेकिन लोगों के इस आस पर पानी फिर गया है।यह पार्क तो बनकर तैयार है पर लोगों के लिए नहीं सिर्फ दिखावें के लिए ऐसा इस लिए कि अभी तक इस पार्क का टेंडर नहीं हुआ है जिसके कारण बंद पड़ा हुआ है।

नेतरहाट तालाब

नेतरहाट तालाब को वहां का लाइफ लाइन कहा जाता है। इसी तालाब से पूरे नेतरहाट में पानी की सप्लाई दी जाती है। तालाब के दोनों और सड़क है और अभी तालाब के सुंदरीकरण भी किया जा रहा है। और कुछ समय से वहां पर पर्यटकों के लिए बोटिंग की भी सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। जहां पर जाकर आप वोटिंग का मजा ले सकते हैं। वोटिंग को लेकर भी किसी प्रकार का कोई टेंडर नहीं हुआ है। वहां के स्थानीय लोगों के द्वारा जो प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं वैसे लोगों द्वारा वोटिंग का कार्य कराया जाता है।

नाशपाती बगान

यहां पर नाशपाती का बगान भी स्थित है जो कई एकड़ में फैला हुआ है और हजारों हजार पेड़ है। नाशपाती के साथ-साथ इस बागान में नाशपाती की दूसरी प्रजाति नाक भी पाया जाता है जिसकी तुलना सब से की जाती है। नाशपाती के दिनों में यहां की नाशपाती राज्य व दूसरे राज्यों में भी सप्लाई दी जाती है। टेंडर के माध्यम से नाशपाती बगान को लिया जाता है।

नेतरहाट शैले हाउस

नेतरहाट में 1919 ईस्वी को सर एडवर्ड गेट लेफ्टिनेंट गवर्नर उड़ीसा बिहार कार्यकाल में इसका निर्माण फार्म हाउस के रूप में कराया था। जिसे आज धरोहर के रूप में देखा जाता है।उस वक्त आवास में सारी सुविधाएं मौजूद थी। गुप्त रास्ता टेनिस स्काउट ग्राउंड माली फ्रूट बागान, दर्जी रूम टी पार्टी गार्डन और बहुत सारे पेड़ भी लगाए गए थे। जानकारी के अनुसार 1920 का अभी भी एक पेड़ शैले हाउस के प्रांगण में मौजूद है। जब इसका निर्माण कराया जा रहा था उस वक्त चारों ओर से खंबे की जगह लकड़ी लगाई गई थी और बीच में 5 इंच का दीवार का निर्माण कराया गया था। और छत रेलिंग अन्य चीजों को भी को भी पूरे लकड़ी से ही बनाया गया है। इन सब बातों की जानकारी प्राप्त होने के बाद पर्यटक शैले हाउस देखने भी पहुंचते हैं।और इसकी तारीफ करते नहीं थकते। लेकिन अभी रखरखाव व सरकार की उदासीनता के कारण इसकी स्थिति काफी दयनीय हो गई है।अगर सरकार इस पुराने धरोहर की मरम्मती करा दें तो शैले हाउस का चार चांद लग जाएगा।

नेतरहाट में रुकने के लिए होटल

अगर आप कहीं से आते हैं तो रात रुकने के लिए बहुत सारे होटल हैं जिनका नाम कुछ इस तरह है
होटल प्रभात विहार, रॉयल रेसेड़ेंसी,होटल पाईन वेली, होटल ग्रीन प्लेस,लेक व्यू रिसोर्ट,होटल रवि एंड शशी,
होटल आर्यावत,होटल सनराइज,फारेस्ट गेस्ट हाउस होटल पैराडाइस,होटल मंगोलिया प्लेस,नेतरहाट रिसोर्ट,नेतरहाट आर्ट विलेज रिसोर्ट,होटल गलेक्सी होटल समेत अन्य होटल मौजूद हैं।साथ ही और बहुत सारे होटलों का नव निर्माण भी युद्ध स्तर पर किया जा रहा है।पहले कुछ होटल हुआ करता था तो प्रकृति का सौंदर्य पर कोई असर नहीं पड़ता था पर अब होटलों की भरमार सी हो गई है। जिसके कारण वातावरण में भी बदलाव होता जा रहा है।

होटलों की बुकिंग

कोई भी पर्यटकों को नेतरहाट का सफर करना है तो ओनलाइन होटलों का बुकिंग कर सकतें हैं।और आफलाइन की भी सुविधा उपलब्ध होती है। लेकिन दिसम्बर व जनवरी इस दौरान बिना बुकिंग किए नेतरहाट ही नहीं आए अन्यथा आपकों यहां होटल में रुम मिलना काफ़ी मुश्किल हो जाएगा। होटल में रूम नहीं मिलने के कारण सैकड़ों पर्यटकों को नेतरहाट से रात को ही वापस जाना पड़ सकता है या कुछ पर्यटकों ने कही पाल लगा कर तथा सेड के नीचे भी रात गुजारनी पड़ सकती है। नेतरहाट होटल संचालकों का कहना है कि कुछ दिन पहले से ही 20 दिसम्बर से लेकर 7 जनवरी तक लगभग नेतरहाट के सभी होटल व टेंट भी बुक हो जाते हैं।

नेतरहाट में होटलों का किराया

नेतरहाट में पहले बहुत ही कम होटल थे पर अभी लगभग 70 से भी ज्यादा होटल हो चुका है।और सभी तरफ होटल ही होटल नजर आता है।इतना होटल होने के बावजूद भी यहां एक दिन के लिए रुम किराया 1500 से लेकर 6000 तक देना पड़ता है जो रांची और दिल्ली के जैसे शहरों के किराए से मेल करता है।साथ ही लगभग सभी होटलों में रेस्टोरेंट की भी सुविधा उपलब्ध है। लोगों को वहां खाने के लिए इधर-उधर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है।

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