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सहजाद आलम /महुआडांड़

महुआडांड़ बड़े चर्च सहित पूरे प्रखंड के सभी चर्च में बुधवार को राखबुधवार के साथ कैथोलिक विश्वासी चालीसे काल का आगाज करते हैं। चालीसा काल की अवधि कृपाओं से ओत प्रोत होती है।जिसकी शुरुआत ललाट पर राख को लगा कर करते हैं।गत वर्षों में खजूर रविवार की आशिष के उपरांत इस्तेमाल की जाने वाली खजूर की डालियों से निर्मित की जाती है। प्रतीकात्मक रूप से ये डालियां यही संकेत करती है कि,हम मनुष्य मिट्टी से सृजित हैं और एक दिन उसी मिट्टी में मिल जाना है। डाल्टेनगंज धर्मप्रांत विशप थियोडोर मस्कारेन्हास ने सुदूर गांव मायापुर और गारू के मारोमार जंगल के बीच में बसा सुरकुमी गांव में जा कर लोगों के लिए रखबुध मिस्सा अर्पण किया। इस अवसर पर बिशप ने उपस्थित अपने लोगों से कहा कि हर वर्ष की तरह इस बार भी आज से हम चालीसा कल में प्रवेश कर रहे हैं। यह कल हम सबों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कल हैं। क्योंकि इस कल के दरमियान हम अपने सभी अच्छाइयों और बुराईयों को सही रूप से जानने की कोशिश करते हैं तथा बुराईयों को त्यागते का अच्छाइयों में चलने का प्रण लेते हैं। आज जब आपके माथे पर यह रखा लगाकर आपको एहसास कराया जाता है कि यह शरीर मिट्टी से बना है और मिट्टी में ही मिल जाएगा पर जो आत्मा है वह कभी नहीं मारेगा क्यूंकि वह अमर है इसलिए आत्मा को पवित्र और सुंदर बनाए रखने के लिए कार्य करें । बिशप ने कहा की चालीसा कल में हम प्रेम, भाईचारा, सहयोग , प्रार्थना और उपवास का जीवन जीएं। यह कल हमारे टूटे रिश्तों को जोड़ने का कल है। यदि हम ईश्वर से दूरियां बना लिए हैं तो यह कल हमें ईश्वर के नजदीक लाता है और साथ ही साथ हमारा संबंध यदि अपने पड़ोसियों के साथ या अपने घर परिवार के सदस्यों के साथ अच्छा नहीं है यह कल उसे सुंदर बनाने के लिए हमें अवसर देता है। संत जोसफ चर्च महुआडंड में फादर सुरेश किंडो ने उपस्थित लोगों को अपने संदेश में कहा सभी लोगों को इस चालीसा काल में मेल प्रेम से रहना है। हमारे जीवन में जितनी भी बुराईयां हैं ।उन्हें छोड़ना है और रिश्ते जो टूट गई है, उसे जोड़ना है। हमारा येसु जो प्यार का ईश्वर है हमसे चाहता है कि हम एक दूसरे से प्यार करें। उपवास न केवल भोजन से करें बल्कि हमें जो गलत विचार गलत काम और जो समाज और अपने जीवन के लिए गलत है उससे करें ।चालीस का जो समय है हमारे जीवन को सुन्दर बनाने का समय है। आप हामेश गपशप से बचें। दूसरों के बारे गलत बोलने से बचें।

उन्होंने इस चालीसा काल में ख्रीस्तीयों के लिए तीन स्तंभ निर्धारित है। जिसमें प्रार्थना, उपवास और परोपकार है।इन तीनों के जीवन में अनुपालन करने का हमसे आहृवान करती है।क्योंकि प्रार्थना है कि काम के माध्यम से हम प्रभु से जुड़ते हैं ।उपवास के माध्यम से हम अपनी आत्म सयंमता में बढ़ते हैं । परोपकार के माध्यम से हम प्रभु की छवि दीन हीनों में देखते हुए उनकी सेवा में व्यतीत करते हैं। आरामदायक जीवन शैली से ऊपर उठना एक तपस्या है,त्याग और बलिदान की ओर यह पवित्र महीना हमें प्रेरित करता है।चालीसा काल एक विशेष कृपाओं को अर्जित करने का शुभ अवसर है। क्योंकि इस अवधि के दरमियान हम येसु ख्रीस्त के साथ उनके मानव जाति के उध्दार हेतु सहष स्वीकार किया हुआ दु:खभोग , मृत्यु और पुनरूत्थान का स्मरण करते हैं। उनके साथ हम उनके क्रुस पथ पर सिरीनी के सिमोन के समान यात्रा करते हैं।आज राखबुधवार के मिस्सा पूजा के साथ ही चालीसा का पवित्र काल शुरू हो गया। मौके पर फादर और सिस्टर के द्वारा उपस्थित सभी ईसाई धर्मावलंबी के माथे पर राख लगा कर इस पवित्र महीना का शुरुआत किया गया।गोठगांव, साले,चेतमा,पकरीपाठ सहित कई अन्य चर्च में मिस्सा पूजा किया गया।मौके पर हेड प्रचार आनंद के साथ भारी संख्या में श्रद्धालु चर्च में भाग लिए।

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