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सहजाद आलम महुआडांड़

नेतरहाट आवासीय विद्यालय के भव्य ऑडिटोरियम में शनिवार को “आधुनिक शिक्षा, शिक्षक और वर्तमान चुनौतियां” विषय पर एकदिवसीय शैक्षणिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के माननीय मंत्री रामदास सोरेन ने किया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों में शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव श्री कुंवर सिंह पाहन, केंद्रीय विद्यालय संगठन (रांची क्षेत्रीय कार्यालय) के उपायुक्त डी.पी. पटेल, रांची विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ. कामिनी कुमार, स्थानीय विधायक रामचन्द्र सिंह, शैक्षणिक काउंसलर और मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. मनुकूल, गणित और भौतिकी के विषय विशेषज्ञ व नेतरहाट के पूर्व छात्र प्रो. प्रिय रंजन, विद्यालय के पूर्व प्राचार्य विन्ध्याचल पांडेय, वर्तमान प्राचार्य श्री संतोष कुमार, नेतरहाट विद्यालय के सभापति संतोष उरांव, अपर समाहर्ता रामा रविदास और जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रिंस कुमार शामिल थे साथ ही कार्यक्रम में कई प्रख्यात शिक्षाविदों, प्रशासकों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने इसे और गरिमामय बनाया।  

कार्यशाला का उद्देश्य


कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षकों और छात्रों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली के प्रति जागरूक करना था। इसके साथ ही, छात्रों में किताबी ज्ञान के अलावा नैतिक मूल्यों, कौशल विकास और समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श किया गया। शिक्षकों की भूमिका को तकनीकी नवाचारों और समकालीन चुनौतियों के अनुरूप और अधिक प्रभावी बनाने के उपायों पर भी गहन चर्चा हुई।  
कार्यशाला की शुरुआत विद्यालय परिसर में शिक्षा मंत्री द्वारा “कल्पतरु” वृक्ष के पौधारोपण के साथ हुई। इस अवसर पर श्री सोरेन ने कहा, “प्रकृति के संतुलन को बनाए रखना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। पौधारोपण के माध्यम से हम पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं।” इसके पश्चात, उन्होंने विद्यालय के नवनिर्मित अष्टम आश्रमवर्ग का उद्घाटन और नामकरण किया। आश्रम के तीन भवनों का नामकरण झारखंड के वीर सपूतों नीलाम्बर-पिताम्बर, सिदो-कान्हू  और वीर बुधु भगत  के नाम पर किया गया।उद्घाटन के बाद, मंत्रोच्चार के साथ दीप प्रज्वलन कर कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ हुआ। विद्यालय के प्राचार्य श्री संतोष कुमार ने सभी अतिथियों का अंगवस्त्र और विद्यालय का प्रतीक चिह्न भेंटकर स्वागत किया।  
प्राचार्य श्री संतोष कुमार ने अपने स्वागत भाषण में कहा, “शिक्षा केवल ज्ञान अर्जन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को सशक्त और सुदृढ़ बनाने का आधार है। नेल्सन मंडेला ने ठीक ही कहा था कि शिक्षा वह हथियार है, जिससे समाज और देश में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।” उन्होंने शिक्षकों के समक्ष मौजूद चुनौतियों का जिक्र करते हुए तकनीकी नवाचारों को अपनाकर शिक्षण प्रणाली को और लचीला बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। विद्यालय के सभापति श्री संतोष उरांव ने कहा, “गुरु वह है जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। आधुनिक शिक्षक न केवल विषय विशेषज्ञ हैं, बल्कि मार्गदर्शक, प्रेरक, काउंसलर और तकनीकी रूप से दक्ष व्यक्ति भी हैं। एक समर्पित शिक्षक, एक किताब और एक कलम मिलकर दुनिया बदल सकते हैं।

वक्ताओं के विचार

डी.पी. पटेल, उपायुक्त, केंद्रीय विद्यालय संगठन नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “छात्रों का सर्वांगीण विकास ही शिक्षा का मूल लक्ष्य है। शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों में नैतिक मूल्यों का विकास हो। विद्यालय की 55-60 हजार पुस्तकों वाली लाइब्रेरी का उपयोग कर छात्र अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।”  
कुंवर सिंह पाहन, संयुक्त सचिव, शिक्षा विभाग ने नई शिक्षा नीति के तहत कौशल विकास पर जोर देते हुए शिक्षकों से अपनी शिक्षण प्रणाली को और बेहतर बनाने का आह्वान किया


-डॉ. कामिनी कुमार, पूर्व कुलपति, रांची विश्वविद्यालय ने शिक्षक-छात्र संबंधों पर बल देते हुए कहा, “शिक्षकों को छात्रों के साथ मधुर और सहयोगात्मक संबंध स्थापित करना चाहिए, ताकि छात्र निर्भय होकर प्रश्न पूछ सकें।स्थानीय विधायक रामचन्द्र सिंह ने कहा, “नेतरहाट विद्यालय झारखंड का गौरव है। शिक्षक विद्यालय के आधार हैं और उन्हें छात्रों के साथ कुशल समन्वय बनाए रखना चाहिए।” साथ ही उन्होंने स्थानीय विद्यार्थियों के लिए सीट आरक्षण की मांग भी दोहराई और विद्यालय का लाभ स्थानीय लोगों को भी मिले इसके बारे में शिक्षा मंत्री समक्ष अपनी मांग रखी।  
शैक्षणिक काउंसलर डॉ. मनुकुल शैक्षणिक ने पावरपॉइंट प्रस्तुति के माध्यम से उन्होंने शिक्षकों को उनकी शिक्षण प्रणाली को नवाचारों के साथ और प्रभावी बनाने के व्यावहारिक उपाय सुझाए।  
वहीं नेतरहाट आवासीय विद्यालय के पूर्व प्राचार्य विंध्याचल पांडेय ने शिक्षकों को आत्मज्ञान की याद दिलाई।
मुख्य अतिथि रामदास सोरेन ने अपने संबोधन में कहा, “नेतरहाट आवासीय विद्यालय की स्थापना का उद्देश्य छात्रों का सर्वांगीण विकास और कौशल उन्नयन रहा है। यहां लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब और प्रयोगशालाओं जैसे संसाधन उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग कर छात्र अपने भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं।” उन्होंने राज्य सरकार की शिक्षा सुधार योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में कई नवाचार शुरू कर रही है। साथ ही, उन्होंने शिक्षकों से अपने कर्तव्यों के प्रति पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी बरतने की अपील की।  


कार्यशाला के समापन पर विद्यालय के शिक्षक श्री रवि प्रकाश सिंह ने मुख्य अतिथि, सभी विशिष्ट अतिथियों, वक्ताओं, शिक्षकों और छात्रों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला शिक्षकों और छात्रों के लिए प्रेरणादायी और ज्ञानवर्धक रही।  

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