महुआडांड़ नेतरहाट
नेटरहाट आवासीय विद्यालय, जो कभी अपनी शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध था, आज शिक्षकों की आपसी राजनीति और संदेहास्पद गतिविधियों के कारण चर्चा में है। विद्यालय के शिक्षकों के बीच व्यक्तिगत रंजिश और अव्यावसायिक व्यवहार ने संस्थान की प्रतिष्ठा को धूमिल कर दिया है। हाल के घटनाक्रमों ने इस स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।
पिछले दो महीनों में विद्यालय के प्रशासनिक पदाधिकारी रौशन कुमार बक्शी के खिलाफ एक दुग्ध आपूर्तिकर्ता रविंद्र कुमार यादव द्वारा प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस मामले में एसीबी, पलामू ने रौशन कुमार बक्शी को गिरफ्तार किया था, लेकिन 24 जनवरी को झारखंड उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी। इसके बाद मामले में एक नया मोड़ तब आया जब शिकायतकर्ता रविंद्र कुमार यादव ने देश और राज्य के कई वरिष्ठ अधिकारियों को ईमेल के माध्यम से एक शिकायत भेजी।
रविंद्र कुमार यादव द्वारा भेजे गए ईमेल और पत्र को नेटरहाट विद्यालय के कुछ शिक्षकों द्वारा प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है। विद्यालय के शिक्षकों के एक व्हाट्सएप ग्रुप की चैट की प्रति सामने आई है, जिसमें 7 मार्च 2024 को रात्रि लगभग 12:21 बजे की एक चैट में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि एक शिक्षक द्वारा रौशन कुमार बक्शी के खिलाफ भेजे गए ईमेल को अपने कंप्यूटर सिस्टम में खोलकर पत्रों के प्रेषण और टिप्पणी का कार्य किया जा रहा है। इसी चैट में एक अन्य शिक्षक द्वारा सलाह दी गई है कि “सबूत मिटाने में लगें।” ग्रुप के चैट के स्क्रीन शॉर्ट वायरल होते ही कई प्रश्न खड़े होने लगे है। क्या कानूनी मामलों या न्यायालय में विचाराधीन मुद्दों पर सार्वजनिक प्रचार-प्रसार करना उचित है? शिक्षकों के बीच एक-दूसरे के प्रति रंजिश की भावना क्या विद्यालय के माहौल को प्रभावित कर रही है? साथ ही किस सबूत को मिटाने की सलाह दी जा रही है, और क्यों?
इन घटनाओं का असर विद्यालय के छात्रों के प्रदर्शन पर भी देखा जा सकता है। पिछले वर्ष वार्षिक माध्यमिक और इंटरमीडिएट परीक्षाओं में रसायनशास्त्र विषय में कुछ छात्र फेल हुए थे, जिन्हें बाद में पूरक परीक्षा के माध्यम से पास करवाया गया। इससे यह संदेह पैदा होता है कि क्या शिक्षकों की मानसिकता और व्यवहार छात्रों की शिक्षा को प्रभावित कर रहा है।
पूर्व छात्रों और शिक्षाविदों की प्रतिक्रिया
नेटरहाट विद्यालय के पूर्व छात्र और प्रतिष्ठित शिक्षाविद् डॉ. प्रो. प्रिय रंजन ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि विद्यालय के शिक्षक इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्त हैं। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष विद्यालय का दौरा करने पर उन्होंने शिक्षकों में छात्रों की शिक्षा के प्रति ललक की कमी पाई। उन्होंने छात्रों को पढ़ाना शुरू किया, लेकिन शिक्षकों को यह पसंद नहीं आया और उन्हें लौटना पड़ा। नेटरहाट आवासीय विद्यालय में शिक्षकों की आपसी राजनीति और संदेहास्पद गतिविधियों ने संस्थान की प्रतिष्ठा को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। यह आवश्यक है कि विद्यालय प्रशासन इस मामले की त्वरित और निष्पक्ष जांच करे तथा शिक्षकों के बीच व्यावसायिकता और सहयोग की भावना को बहाल करे। छात्रों के भविष्य और विद्यालय की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
प्राचार्य का बयान
विद्यालय के प्राचार्य संतोष कुमार ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें भी इसकी जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि विद्यालय प्रशासन इस मामले की गंभीरता को समझता है और इसकी जांच की जाएगी।